म्यूचुअल फंड्स भारत में काफी पहले से हैं लेकिन लोग अब भी इसे लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। कुछ लोग म्यूचुअल फंड्स को काफी जोखिम भरा मानते हैं तो कुछ इसे शेयर मार्केट ही समझते हैं। लेकिन ऐसा कुछ नही हैं। आज के समय में भारत के करोड़ो लोग म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं और हर महीने लाखो निवेशक म्यूचुअल फंड्स से जुड़ते जा रहे हैं। आज के इस लेख में हम म्यूचुअल फंड्स की गाइड देने वाले हैं। आज हम जानेंगे की

 ‘म्यूचुअल फंड्स क्या है और म्यूचुअल फंड में पैसा कितने साल बाद निकाल सकते है‘?


आज के समय में अगर आप किसी भी Billionaire या फिर सफल व्यक्ति से उनकी सफलता के बारे में पूछेंगे तो वह आपसे यह बात जरूर कहेंगे की ज़िन्दगी में रिस्क उठाना जरुरी हैं। यही हाल कुछ शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड्स का हैं। जो व्यक्ति रिस्क उठाता है उसकी किस्मत चमकने के चांस भी रहते हैम कई लोगो की ज़िन्दगी भी इन बाजारों ने बदली हैं। आज हम म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) के बारे में बात कर रहे हैं। आज हम आपको यह भी बताने वाले हैं की Mutual Funds से पैसे कैसे कमाते है? तो चलिए शुरू करते हैं। 

Mutual Funds क्या हैं? 

Mutual Funds Explained in Hindi



म्यूचुअल फंड में पैसा कितने साल बाद निकाल सकते हैं


Mutual Funds में निवेश के बारे में जंनये से पहले इसे समझना जरूरी हैं। Mutual Funds अंग्रेजी शब्द हैं। Mutual का मतलब मिलकर और फंड्स का मतलब पैसे! कुल मिलाकर Mutual Funds का मतलब काफी सारे लोगो के पैसे। Mutual Funds में आपके अलावा अन्य कई लोग भी पैसा देते हैं जिससे की एक बड़ा Amount बनता हैं जिसे विभिन्न जगहों पर Invest किया जाता हैं। इससे होने वाला Profit भी सब में बढ़ता हैं। अगर Mutual Funds को आसानी से समझा जाए तो एक व्यक्ति के पास 10 हजार रुपये निवेश के लिए है तो वह अकेला उसका उतना बेहतर निवेश नही कर सकता जितना की 100 व्यक्ति अपने 10 हजार रुपये मिलाकर 10 लाख रुपये का निवेश करे। अगर उन 100 व्यक्ति के 10 लाख रुपये मिलाकर एक घर खरीदा जाए

 जिसकी कीमत 5 साल बाद बढ़कर 25 लाख हो जाए तो लगभग सभी लोगो का प्रॉफिट दुगने से भी ज्यादा ही जाएगा। इसी तरह से Mutual Funds के पैसे को विभिन्न क्षेत्रो में इन्वेस्ट किया जाता हैं। कभी यह पैसे Share Market में इन्वेस्ट किये जाते है तो कभी प्रॉपर्टी की बिजनेस मे, कभी इन पैसो का ऋण देकर ब्याज से प्रॉफिट कमाया जाता है तो कभी पैसो को फिल्मो या फिर सोना-चांदी आदि के व्यवसाय में लगाया जाता है।

 यानी की जितने चांस Profit के होते हैं उतने ही चांस Loss के भी होते है। लेकिन Investment सोच समझ कर और Study के साथ करके की जाए तो यह Profit कमाने का एक बेहतरीन तरीका हैं। Mutual Funds में आपके पैसे को सम्भालने का काम Fund मैनेजर यानी की उस कम्पनी का होता है जिसके जरिये आप Mutual Funds में इन्वेस्ट कर रहे हैं। यानी की आपका Fund Manager आपके पैसो को किसी ऐसी जगह इन्वेस्ट करता है जहा से Profit होने जे चांस भी हो। एक प्रोफेशनल फण्ड मैनेजर का काम निवेशकों के पैसो की देख रेख करना व फण्ड के पैसो को सही जगह निवेश करके निवेशकों को उससे मुनाफा दिलवाना होता हैं। 

म्यूचुअल फण्ड में पैसा कितने साल बाद निकाल सकते हैं?


काफी सारे लोग म्यूचुअल फंड्स से पैसा निकलने के सवाल पर उलझे हुए रहते हैं। म्यूचुअल फंड्स में रुचि रखने वाला हर व्यक्ति यह जरूर जानना चाहेगा की ‘म्यूचुअल फण्ड में पैसा कितने साल बाद निकाल सकते हैं’? इस सवाल का जवाब भी हम आपको देने वाले हैं। 

दरअसल म्यूचुअल फंड्स पैसा निकालने के हिसाब से 2 तरह के होते हैं। 

पहला ‘ओपन एंडेड फण्ड‘ और दूसरा ‘क्लोज एंडेड फण्ड‘!


ओपन एंडेड फण्ड :- 

ओपन एंडेड फण्ड में कोई भी व्यक्ति अपने निवेश किये गए पैसे उस समय की वैल्यू की हिसाब से जब चाहे तब निकाल सकता हैं। यानी की Withdrawal के मामले में ओपन एंडेड फण्ड में खुली छूट हैं। आप जब चाहे निवेश करो और जब चाहे अपना निवेश रिडीम कर लो, आपके ऊपर कोई रोक नही होगी। क्लोज एंडेड फण्ड : क्लोज एंडेड फंड्स में अगर एक बार पैसा लगा दिया तो फिर वह एक निश्चित अवधि के बाद ही उस समय की निवेश वैल्यू के हिसाब से मिलता हैं। इस निश्चित अवधि को लॉकिंग पीरियड कहा जाता हैं। यह लॉकिंग पीरियड 3 साल से लेकर 15 साल तक का हो सकता हैं। आप जितने लॉकिंग पीरियड के लिए पैसे निवेश करोगे उसके पूरे होने के बाद आपको पैसे मिल जाएंगे।

 म्यूचुअल फंड्स में निवेश कैसे करते हैं?


म्यूचुअल फंड्स कई तरह के होते हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार म्यूचुअल फंड्स चुन से हो और उनमे इन्वेस्ट कर सकते हो। कई म्यूचुअल फंड्स जोखिम भरे होते है लेकिन उनमे मुनाफा भी ज्यादा होता है तो कई म्यूचुअल फंड्स में कोई जोखिम नही होता और निवेशकों को उसमे थोड़ा कम लेकिन निश्चित फायदा मिलता हैं। आइये, सरल भाषा में इन फंड्स की समझते हैं:


ग्रोथ फंड्स :- 

ग्रोथ फंड्स में मुख्य रूप से शेयर मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता हैं। इन फंड्स का टारगेट एक ठीक-ठाक अवधि में शेयर मार्केट से अच्छा मुनाफा प्राप्त करके ग्राहकों को मुनाफा पहुचाना होता हैं।


इनकम फंड्स : इनकम फंड्स में पैसा इन्वेस्ट करने पर थोड़ी कम लेकिन एक निश्चित आय मिलती हैं। इन म्यूचुअल फंड्स के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों, बॉन्ड और डिबेंचर आदि में इन्वेस्ट किया जाता हैं।


बैलेंस्ड फंड्स :-

 नाम के अनुसार इस तरह फंड्स में ग्रोथ फंड्स और इनकम फंड्स की बीच में बैलेंस बनाया जाता हैं। यानी की शेयर मार्केट के साथ निश्चित आय वाले सोर्स में भी इन्वेस्ट किया जाता हैं। इस तरह के फंड्स से ग्राहकों को ग्रोथ और निश्चित आय दोनों मिलती हैं। मनी मार्केट फंड्स : इस फंड्स में ग्राहकों की आसानी से पैसा उपलब्ध करवाने, उनकी पूंजी का संरक्षण करने और एक अच्छी आय प्रदान करने की कोशिश की जाती हैं। इस तरह के फंड्स से कमर्शियल पेपर, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट और ट्रेजरी बिल आदि में इन्वेस्ट किया जाता हैं। 

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